Surya Temple Indore

श्रीमती हुज्जी देवी राज देव को एक संत मिले और उन्होंने स्वप्न में बताया की मुझे सात घोड़ो पर सवार श्री सूर्य देव ने दर्शन दिए हैं और कहा की इंदौर शहर में हजारो वर्ष पूर्व सुख निवास एवं रंगवास के मध्य एक बड़ा सा तालाब था उसके किनारे तीर्थ स्थान एवं घाट थे घाट के पास मेरा एक भव्य मंदिर मेरे दरबार के साथ था। उस मंदिर को पुनः तेरे पुत्र हशमत को कहकर बनवा दे। तेरा पुत्र भी मेरा बहुत बड़ा भक्त हैं। मेरी आराधना करने से ही उसको दो पुत्र रवि एवं सूर्य का जन्म हुआ हैं। माताजी ने संत से अपनी आर्थिक असमर्थता व्यक्त की तब संत ने कहा की कार्य प्रारम्भ करने की यज्ञ तेरे पुत्र हशमत को कहो।

धीरे-धीरे लोग जुड़ते जाएंगे कार्य होता जाएंगे तथा वहां आने वाले दर्शनांर्थियों की मनोकामना भी पूर्ण होगी। माताजी ने ऐसा ही किया एवं इस बात को इंदौर के अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त वास्तुविद एवं ज्योतिष आचार्य डॉ. अरविन्द उपाध्याय को सुनाया। डॉ. उपाध्याय ने स्वप्न की व्याख्या करते हुए बताया की सूर्य दरबार का अर्थ यह हैं की श्री सूर्य देव के आठ दरबारी शेष आठो ग्रह एवं उनके देवता हैं। इन ग्रहो एवं उनसे संबंधित देवताओ के मंदिर भी श्री सूर्य देव की परिक्रमा के साथ बनाना होंगे एवं वहा एक सूर्य कुण्ड एवं घाट का निर्माण भी करना होगा।

अगले ही दिन सुख निवास एवं रंगवास क्षेत्र जाकर दोनों ने इस कार्य के लिए भूमि का चयन किया। डॉ. उपाध्याय ने भूमि का चयन करते हुए कहा की यह स्थान इंदौर के दक्षिण पश्चिम भाग में स्थित हैं। यदि यहां श्री सूर्य देव मंदिर एवं नवग्रह तीर्थ का निर्माण किया जाता हैं तो न केवल यहां आने वाले दर्शनार्थियों की मनोकामना पूर्ण होगी इससे इंदौर शहर का आर्थिक एवं संरचनात्मक विकास भी होगा एवं इंदौर शहर की जनता को ज्ञान, शिक्षा, एवं रोजगार में भी लाभ होगा क्योकि वास्तु शास्त्र के अनुसार शहर के दक्षिण- पश्चिम भाग में स्थित मंदिर ही शहर नियंत्रित करता हैं। इस तीर्थ के यहां बनने से इंदौर शहर पर नो ग्रह एवं उनके देवता का पूर्ण मियंत्रण एवं कृपा रहेगी एवं इंदौर का विकास निरंतर एवं निर्बाधा होता रहेगा।

डॉ. उपाध्याय ने सूर्य भगवान के विशेष दिन 7 जुलाई 2002 रविवार” का भूमी पूजन का मुहूर्त प्रातः 10:28 का निकाला एवं बताया की इस समय रोहणी नक्षत्र में सिंह लग्न एवं तुला का नवमांश रहेगा एवं गुरु उच्च के होकर वर्गोत्तमी रहेंगे। यह मुहूर्त सूर्य मंदिर निर्माण के लिए अत्यंत श्रेष्ठ हैं इस मुहूर्त में निर्माण प्रारम्भ करने से यहां आने वाले भक्तों के मनोकामना निश्चित ही पूर्ण होगी। इसी समय में डॉ. उपाध्याय ने विधिवत पूजन एवं अनुष्ठान कर मंदिर का निर्माण प्रारम्भ करवाया एवं लोगों के सहयोग से लगभग सवा वर्ष में ही मंदिर का निर्माण पूर्ण हो गया।

28 नवंबर 2004, रविवार कृष्णपक्ष की दूज को व्रश्चिक लग्न एवं वृश्चिक के सूर्य एवं मीन के नवमांश में प्रातः 8:90 बजे मूर्तियों की प्राण-प्रतिष्ठा प्रारम्भ की एवं उसके बाद से आज तक निरंतर यहाँ आने वाले भक्तों की मनोकामना पूर्ण हो रही हैं।

यहाँ का मुख्य मंदिर श्री सूर्य देव का हैं। श्री सूर्य देव यहां ७ घोड़ो पर सवार हैं जिसके सारथि श्री अरुण देव हैं। शास्त्रो में वर्णित हैं श्री अरुण देव पदविहीन (चरणो से विकलांग) हैं। इसी तथ्य को ध्यान में रखकर यहाँ अरुण देव की मूर्ति को भी पदविहीन बनाया गया हैं। वास्तु सिद्धांत के अनुसार इस मूर्ति की ऊँचाई 13 फ़ीट हैं। सूर्य देव की मूर्ति का निर्माण उड़ीसा के कलाकारों द्वारा किया गया हैं। इन कलाकारों ने इस संगमरमर की प्रतिमा को बड़े ही आदर के साथ अद्भुत एवं तेजस्वी बनाया हैं। मंदिर के शिखर से प्रत्यक्ष सूर्य की किरणें इस पर आती हैं विशेष कर सूर्योदय एवं अभिजीत मुहूर्त में इसकी छटा देखने लायक होती हैं। श्री सूर्य देव मंदिर के बाहर कमल कुण्ड हैं। यहां के कमल मंदिर की सुंदरता में चार चाँद लगाते हैं। सूर्य भगवन इन सुन्दर कमल के दर्शन अंदर से ही करते हैं।

इस मंदिर में लगातार ७ रविवार आने वालो भक्तो की न केवल मनोकामना पूर्ण हुई साथ ही चमत्कार भी देखने को मिले। यहां कम से कम सवा किलो गेहूँ भगवान को अर्पण करने से राजनीती में प्रभाव बढ़ता हैं , पुत्र एवं संतान प्राप्ति होती हैं , मान – सम्मान में वृद्धि एवं शासन कार्य में लाभ प्राप्त होता हैं।

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Address: Cat Road, Rau, Rgwasa Road, Indore, Madhya Pradesh 453331
Closing Time: 8PM
Facility : Food available every sunday only 10 Rs.
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For information Visit this link: http://www.suryamandirindore.com/history.php

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