Harsiddhi Mata Mandir Ujjain Madhya Pradesh

पुरे देश में हरसिद्धि देवी के कई प्रसिद्ध मंदिर है लेकिन वाराणसी और उज्जैन स्थित हरसिद्धि मंदिर सबसे प्राचीन है। यहाँ पर 51 फीट ऊंचे 2 दीप स्तंभों है जिसको जलाने में 60 लीटर तेल लगता है और यहाँ एक शक्तिपीठ है जो पुरे विश्व में विख्यात है।

हरसिद्धि माता के मंदिर का इतिहास और उसका महत्व  

उज्जैन की महाकाल नगरी में माता हरसिद्धि का प्राचीन मंदिर है,  यह स्थान सम्राट विक्रमादित्य की तपोभूमि है। मंदिर के पीछे एक कोने में कुछ सिर पर सिन्दूर चढ़े हुए रखे हैं। ये  मन जाता  है की ये विक्रमादित्य के सिर हैं। ऐसा माना जाता है कि महान सम्राट विक्रमादित्य ने माता को प्रसन्न करने के लिए प्रत्येक  हर 12वें वर्ष में अपने ही हाथों से अपने मस्तक की बलि दे दी थी। ऐसा उन्होंने 11 बार किया लेकिन हर बार की तरह सिर वापस आ जाता था, जब उन्होंने 12वीं बार सिर किया तो सर वापस नहीं आया तब वो समझा गया कि उनका शासन संपूर्ण हो गया। उन्होंने कुल 135 वर्ष शसन किया था परमार वंश राजाओं की भी कुलदेवी यही है।

 हरसिद्धि माता मंदिर उज्जैन,श्री हरसिद्धि माता शक्तिपीठ मंदिर की संपूर्ण जानकारी

माता का नाम हरसिद्धि कैसे पड़ा ?

चण्ड और मुण्ड नामक दो दैत्यों ने बहुत आतंक मचा रखा था। एक बार दोनों ने कैलाश पर कब्जा करने की योजना बनाई और वो कैलाश पर पहुंच गए।  उस दौरान माता पार्वती और भगवान शंकर द्यूत-क्रीड़ा में निरत थे। दोनों के जबरन अंदर प्रवेश करने की कोशिश की तो द्वार पर ही शिव के नंदीगण ने उन्हें अंदर आने से रोका दिया।  दोनों दैत्य बहुत शक्तिशाली थे उन्होंने सभी नंदीगण को अपने शस्त्र से घायल कर दिया। जैसे ही शिव जी ये पता चला उन्होंने चंडीदेवी का स्मरण किया और देवी ने शिव आज्ञा पाकर  उसी समय दोनों दैत्यों का वध कर दिया।

शिव जी ने प्रशन्न होकर कहा की हे चण्डी, आपने दुष्टों का वध किया है इसलिए लोक-ख्याति में आपका नाम हरसिद्धि नाम से प्रसिद्ध होगा। उसी समय से माता हरसिद्धि महाकाल में विराजमान हैं।

उज्जैन की नगरी में कितने शक्तिपीठ है ?

उज्जैन  में दो शक्तिपीठ है, दोनों शक्तिपीठ आमने सामने पहाड़ी पर हैं। दोनों मंदिरों में विराजित देवियों की मूर्तियां आमने सामने हैं। मान्यता के अनुसार पहला शक्तिपीठ हरसिद्धि व दूसरा शक्तिपीठ अवंतिका है।

हरसिद्धि माता किस राजा की कुलदेवी है ?

हरसिद्धि माता महाराज विक्रमादित्य की कुलदेवी थीं और वे ही इनकी पूजा करते थे।

51 फीट ऊंचे 2 दीप स्तंभों को जलाने में  कितना तेल और रुई लगती है ?

60 लीटर तेल और 4 किलो रुई लगती है।

शक्तिपीठ हरसिद्धि मंदिर परिसर में दीपमालिकाओं को प्रज्वलित करने के लिए क्या बुकिंग करना होती है ?

जी है यहाँ पर यदि आप चैत्र नवरात्रि में डीप प्रज्वलित करना कहते हे तो आपको बुकिंग करना होगी ।

बुकिंग शुल्क कितना होता है और किसे देना होता है ?

बुकिंग शुल्क 2100 रुपए और यहाँ शुल्क आपको मंदिर समिति को देना होता है।

बुकिंग कब तक हो जाती है ?

जनवरी से लेकर 24 मार्च तक वक्तिगत बुकिंग हो जाती है।

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