उज्जैन महाकालेश्वर का मंदिर : उज्जैन में महाकालेश्वर का विशाल मंदिर है यहाँ हिंदुओं के आस्था का प्रतिक है , महाकालेश्वर का मंदिर बहुत ही पवित्र और शुभ मंदिर मना जाता है ,यह मंदिर एक झील के पास स्थित है। इस मंदिर में विशाल दीवारों से घिरा हुआ एक बड़ा आंगन है। इस मंदिर के अंदर पाँच स्तर हैं और इनमें से एक स्तर भूमिगत है ।
उज्जैन महाकालेश्वर का मंदिर : उज्जैन में महाकालेश्वर का विशाल मंदिर है यहाँ हिंदुओं के आस्था का प्रतिक है , महाकालेश्वर का मंदिर बहुत ही पवित्र और शुभ मंदिर मना जाता है ,यह मंदिर एक झील के पास स्थित है। इस मंदिर में विशाल दीवारों से घिरा हुआ एक बड़ा आंगन है। इस मंदिर के अंदर पाँच स्तर हैं और इनमें से एक स्तर भूमिगत है ।
श्रावण‑मास में निकलेगी बाबा महाकाल की पाँच सवारी मिलन।
सवारी क्रम | तिथि | माह / स्वरूप |
---|---|---|
प्रथम सवारी | 14 जुलाई 2025 | श्रावण मास |
द्वितीय सवारी | 21 जुलाई 2025 | श्रावण मास |
तृतीय सवारी | 28 जुलाई 2025 | श्रावण मास |
चतुर्थ सवारी | 4 अगस्त 2025 | श्रावण मास |
पंचमी सवारी | 11 अगस्त 2025 | भाद्रपद मास |
षष्ठ (शाही) सवारी | 18 अगस्त 2025 | भाद्रपद मास—राजसी |
महाकालेश्वर में बनी मूर्ति को अक्सर दक्षिणामूर्ति भी कहा जाता है, क्योकि यह दक्षिण मुखी मूर्ति है। जब समुद्र मंथन हुआ था तब अमृत की एक बून्द उज्जैन नगरी में भी गिरी थी इस लिए यहाँ पर ज्योतिर्लिंग की स्थापना होई, ओमकारेश्वर महादेव की प्रतिमा को महादेव तीर्थस्थल के उपर पवित्र स्थान पर बनाया गया है। इसके साथ ही गणेश, पार्वती और कार्तिकेय की प्रतिमा को भी पश्चिम, उत्तर और पूर्व में स्थापित किया गया है। दक्षिण की तरफ भगवान शिव के वाहन नंदी की प्रतिमा भी स्थापित की गयी है। यहाँ कहा जाता है की यह पर बने नागचंद्रेश्वर के मंदिर को साल में सिर्फ एक बार नागपंचमी के दिन ही खोला जाता है। मंदिर की कुल पाँच मंजिले है, जिनमे से एक जमीन के निचे भी है। यह मंदिर एक पवित्र गार्डन की जगह पर बना हुआ है, जो सरोवर के पास विशाल दीवारों से घिरा हुआ है। इसके साथ ही निचले पवित्र स्थान पर पीतल के लैंप लगाये गए है। दुसरे मंदिरों की तरह यहाँ भी भक्तो को भगवान का प्रसाद दिया जाता है। महाकालेश्वर का मंदिर का शिखर का निर्माण इस तरह से किया गया है की हमें यह आकाश भी छूता हुआ दिखाई देता है, यहाँ मंदिर अपने आप में ही यह एक चमत्कार है। उज्जैन का महाकाल मंदिर मध्य प्रदेश में ही नहीं अपितु विदेशो में भी बहुत लोग प्रिये है , यहाँ भक्तो की मनोकामनाएं पूरी होती है , भक्त गन महाकालेश्वर पर अपनी पूर्ण निस्टा(विश्वास) रखते है , यहाँ मंदिर लोगो की इच्छा पूरा करता है जो भी भक्त गन सच्चे मन से आता है भगवन के दरबार में ।
भस्म आरती का समय सुबह 4 बजे का होता है, यदि आप भगवन के पास से दर्शन करना कहते है और आरती में शामिल होना कहते है तो आप VIP पास खरीद सकते हो मंदिर के काउंटर पर ये सुविधा उपलब्ध है |
उज्जैन में सावन महीने का बहुत ही बड़ा महत्व होता है, सावन के पहले सोमवार को भगवान महाकाल की पहली सवारी निकलती है , लोग लाखो की संख्या में भगवन के दर्शन करने जाते है।
शिप्रा के जल से रामघाट पर पुजारी भगवान का अभिषेक कर पूजा अर्चना करते है , पूजा के बाद सवारी रामानुजाकोट, गणगौर दरवाजा, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्रीचौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार होते हुए महाकाल के धाम पूछती है
कही सांस्कृतिक व धार्मिक उत्सवो का भी आयोजन किया जाता है यहाँ सांस्कृतिक व धार्मिक कार्यक्रम रविवार से आयोजीत किये जाते है|
Address:
Jaisinghpura, Ujjain, Madhya Pradesh 456006
महाकालेश्वर में बनी मूर्ति को अक्सर दक्षिणामूर्ति भी कहा जाता है, क्योकि यह दक्षिण मुखी मूर्ति है। जब समुद्र मंथन हुआ था तब अमृत की एक बून्द उज्जैन नगरी में भी गिरी थी इस लिए यहाँ पर ज्योतिर्लिंग की स्थापना होई, ओमकारेश्वर महादेव की प्रतिमा को महादेव तीर्थस्थल के उपर पवित्र स्थान पर बनाया गया है। इसके साथ ही गणेश, पार्वती और कार्तिकेय की प्रतिमा को भी पश्चिम, उत्तर और पूर्व में स्थापित किया गया है। दक्षिण की तरफ भगवान शिव के वाहन नंदी की प्रतिमा भी स्थापित की गयी है। यहाँ कहा जाता है की यह पर बने नागचंद्रेश्वर के मंदिर को साल में सिर्फ एक बार नागपंचमी के दिन ही खोला जाता है। मंदिर की कुल पाँच मंजिले है, जिनमे से एक जमीन के निचे भी है। यह मंदिर एक पवित्र गार्डन की जगह पर बना हुआ है, जो सरोवर के पास विशाल दीवारों से घिरा हुआ है। इसके साथ ही निचले पवित्र स्थान पर पीतल के लैंप लगाये गए है। दुसरे मंदिरों की तरह यहाँ भी भक्तो को भगवान का प्रसाद दिया जाता है। महाकालेश्वर का मंदिर का शिखर का निर्माण इस तरह से किया गया है की हमें यह आकाश भी छूता हुआ दिखाई देता है, यहाँ मंदिर अपने आप में ही यह एक चमत्कार है। उज्जैन का महाकाल मंदिर मध्य प्रदेश में ही नहीं अपितु विदेशो में भी बहुत लोग प्रिये है , यहाँ भक्तो की मनोकामनाएं पूरी होती है , भक्त गन महाकालेश्वर पर अपनी पूर्ण निस्टा(विश्वास) रखते है , यहाँ मंदिर लोगो की इच्छा पूरा करता है जो भी भक्त गन सच्चे मन से आता है भगवन के दरबार में ।
भस्म आरती का समय सुबह 4 बजे का होता है, यदि आप भगवन के पास से दर्शन करना कहते है और आरती में शामिल होना कहते है तो आप VIP पास खरीद सकते हो मंदिर के काउंटर पर ये सुविधा उपलब्ध है |
उज्जैन में सावन महीने का बहुत ही बड़ा महत्व होता है, सावन के पहले सोमवार को भगवान महाकाल की पहली सवारी निकलती है , लोग लाखो की संख्या में भगवन के दर्शन करने जाते है।
शिप्रा के जल से रामघाट पर पुजारी भगवान का अभिषेक कर पूजा अर्चना करते है , पूजा के बाद सवारी रामानुजाकोट, गणगौर दरवाजा, ढाबा रोड, टंकी चौराहा, छत्रीचौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार होते हुए महाकाल के धाम पूछती है
कही सांस्कृतिक व धार्मिक उत्सवो का भी आयोजन किया जाता है यहाँ सांस्कृतिक व धार्मिक कार्यक्रम रविवार से आयोजीत किये जाते है|
Address:
Jaisinghpura, Ujjain, Madhya Pradesh 456006
महाकालेश्वर मंदिर: यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है. जो भगवान शिव को समर्पित है
काल भैरव मंदिर: यह मंदिर भगवान काल भैरव को समर्पित है, जिन्हें उज्जैन का कोतवाल माना जाता है
मंगलनाथ मंदिर: यह मंदिर भगवान शिव को समर्पित है और मंगल ग्रह की उत्पत्ति का स्थान माना जाता है
नागचंद्रेश्वर मंदिर: यह मंदिर साल में केवल एक बार नागपंचमी के दिन ही खुलता है ,यह मंदिर भगवान शिव और नागदेवता को समर्पित है
गोपाल मंदिर: यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है, इस मंदिर को द्वारकाधीश मंदिर भी कहा जाता है